मध्य पूर्व के इन दोनों शक्तिशाली देशों के बीच यदि वास्तव में युद्ध शुरू हो जाता है तो उसमें किन हथियारों का उपयोग किया जाएगा और कौन सा देश किसके साथ खड़ा होगा?
नई दिल्ली: Iran Israel conflict: क्या पश्चिम एशिया बिल्कुल जलने के कगार पर है? क्या वाकई ईरान (Iran) इजरायल (Israel) पर हमला करने वाला है? अगर वह हमला करेगा तो कब करेगा? पश्चिम की खुफिया एजेंसियों ने तो इसकी तारीख भी बता दी है. उन एजेंसियों के मुताबिक यह हमला 12 और 13 अगस्त के बीच होगा. यह चर्चा इजरायल के प्रतिष्ठित अखबार जेरुसलम पोस्ट में चल रही है.
इस बीच तनाव और टकराव के हालात हर तरफ दिख रहे हैं. सवाल यह है कि यदि मध्य पूर्व के इन दोनों शक्तिशाली देशों के बीच यदि वास्तव में युद्ध शुरू हो गया तो उसमें किन हथियारों का उपयोग किया जाएगा और कौन सा देश किसके साथ खड़ा होगा? एक इससे भी बड़ा सवाल यह है कि इस युद्ध से क्या सिर्फ मिडिल-ईस्ट के देश प्रभावित होंगे या दुनिया के अन्य देश भी इसके दुष्प्रभाव को झेलने के लिए मजबूर होंगे. यह कहीं दुनिया के सामने आ रहे बड़े संकट की आहट तो नहीं है.
हिज्बुल्ला ने शनिवार को इजरायल को निशाना बनाते हुए हमला किया तो इजरायल ने भी जवाबी कार्रवाई की. तनावा की इस स्थिति में सवाल यह उठ रहा है कि ईरान और इजरायल के बीच यदि युद्ध हुआ तो वह किन हथियारों से लड़ा जाएगा और किन देशों की मदद से लड़ा जाएगा? इस लिहाज से यह देखना दिलचस्प होगा कि दोनों की फौजी ताकत कितनी है?
मुकाबला बराबरी का
दुनिया के युद्ध विशेषज्ञ सैन्य ताकत के मामले में इजरायल और ईरान को करीब बराबरी का मानते हैं. ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक ईरान अगर दुनिया में चौदहवें नंबर पर है तो इजरायल भी 17वें नंबर पर है. सेना, हथियारों और विमानों के लिहाज से भी दोनों एक-दूसरे को अलग-अलग मोर्चों पर टक्कर देते हैं.
ईरान और इजरायल की सैन्य ताकत के कुछ आंकड़े
ईरान के पास कुल विमान 551 हैं और इजरायल के पास 612
ईरान के लड़ाकू विमानों की संख्या 186, इजरायल के पास 241
ईरान के पास हेलीकॉप्टर 129 हैं, इजरायल के पास 146 हैं
ईरान के पास टैंक 1996 हैं तो इजरायल के पास 1370
ईरान के पास हथियारबंद वाहन 65765, इजरायल के पास 43407
ईरान के पास मोबाइल रॉकेट प्रोजेक्टर 775 तो इजरायल के पास 150
ईरान के पास समुद्री बेड़ा 101 तो इजरायल के पास 67
ईरान के पास पनडुब्बियों की संख्या 19, इजरायल के पास 5 पनडुब्बियां हैं
ईरान के सैन्यकर्मियों की संख्या 610000, इजरायल के पास 170000 सैन्य बल
ईरान के सुरक्षित फोर्स का आंकड़ा 350000 है तो इजरायल के पास 465000
ईरान के अर्धसुरक्षा बल का आंकड़ा 220000 तो इजरायल के पास 35000 है
ईरान का रक्षा बजट 9 अरब डॉलर है तो इजरायल का 24 अरब डॉलर है
इसमें एक बात समझने की है कि ईरान के पास सैन्य बल और हथियार ज्यादा दिखते हैं, लेकिन वे पुराने हैं.. उनका रखरखाव भी बेहतर नहीं है. उस पर कई पाबंदियां भी लगी हुई हैं. दूसरी ओर इजरायल के पास अत्याधुनिक हथियार हैं. पश्चिम एशिया में चारों तरफ से घिरे हुए होने के बावजूद वह अपनी लड़ाइयां लड़ता रहा है, जीतता भी रहा है. बेशक उसके पीछे अमेरिकी मदद ही रही है. लेकिन इन दोनों देशों के बीच कोई युद्ध हुआ तो वह ईरान और इजरायल के बीच तक ही सीमित नहीं होगा. इसमें और भी ताकतें शामिल हो जाएंगी. साथी देश खुलकर साथ नहीं भी आए तो उनके हथियार इन देशों के साथ हो सकते हैं.
इजरायल के साथ कौन?
इजरायल को पश्चिम एशिया के अंदर समर्थन नहीं मिलना है लेकिन उसके साथ अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी समेत यूरोप के ज्यादातर देश हैं. ऑस्ट्रेलिया भी उसके साथ है. वास्तव में यही इस देश की ताकत है.
ईरान के साथ कौन?
ईरान को पास पड़ोस के देशों का समर्थन ही नहीं, मदद भी मिलेगी. इनमें फिलिस्तीन, तुर्की, लेबनान, सीरिया, कतर, ओमान, जैसे देश हैं. रूस और चीन भी ईरान के साथ खड़े हैं.
इजरायल में अंदर तक हमला करने की तैयारी में हिज्बुल्ला
रिपोर्टों के मुताबिक ईरान समर्थित हिजबुल्ला ग्रुप इजरायल के अंदर तक हमला करने की तैयारी कर रहा है. उसका कहना है कि वह अब मिलिट्री टारगेटों तक ही सीमित नहीं रहेगा. इसका अर्थ है कि हिजबुल्ला इजरायल के रिहायशी इलाकों में भी हमला कर सकता है, जिससे आम नागिरिकों की मौत होगी. इजरायल द्वारा हिजबुल्ला कमांडर को मार गिराने से वह गुस्से में है. हिजबुल्लाह इजरायली सेना को निशाना बनाते हुए करीब रोज ही गोलीबारी कर रहा है.
इजरायल की ओर से मंगलवार को किए गए हमले में हिजबुल्ला कमांडर फुआद शुकर मारा गया. इस हमले में पांच नागरिक भी मारे गए. इससे हिजबुल्ला और ईरान बौखला गए हैं. यही कारण है कि वे अपने हमलों को इजरायल के सैन्य ठिकानों तक ही सीमित नहीं रखना चाहते. ईरान का कहना है कि, हिजबुल्ला और इजरायली शासन कुछ नियमों का पालन करते रहे थे, जिसमें हमले सीमावर्ती क्षेत्रों और सैन्य ठिकानों तक सीमित रखने की बात शामिल थी. लेकिन बेरूत में शुकर को मारने के लिए किए गए हमले में इस नियम का उल्लंघन किया गया.