18 जुलाई को इसी WazirX के एक Wallets से 230 मिलियन डॉलर कीमत की क्रिप्टो चोरी हुई. 230 मिलियन डॉलर मतलब करीब 2000 करोड़ रुपये. मतलब साफ है हजारों लोगों के करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है.
मुंबई:
ऑनलाइन ने बेशक हमारी जिंदगी को आसान किया है, मगर इसके नुकसान भी बहुत ही ज्यादा है. आज देश में साइबर ठगों की भरमार है, इनकी कोशिश रहती है कि सीधे-साधे लोगों के पैसे ऑनलाइन तरीके से चुरा लें. आज की कहानी ऐसी ही है. इन दिनों देश-विदेश में क्रिप्टो करंसी के खरीददार बहुत ही ज्यादा है. भारत में क्रिप्टो करंसी भले ही RBI से रेगुलेट नही होती लेकिन बड़े पैमाने पर लोग क्रिप्टो करंसी लेते हैं और सरकार भी इसके मुनाफे पर टैक्स वसूलती है.
18 जुलाई को इसी wazirX के एक wallets से 230 मिलियन डॉलर कीमत की क्रिप्टो चोरी हुई. 230 मिलियन डॉलर मतलब करीब 2000 करोड़ रुपये. मतलब साफ है हजारों लोगों के करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है. WazirX ने भारत सरकार के नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पॉर्टल से लेकर FIU और CERT in में तुंरत इसकी रिपोर्ट की है और अब दिल्ली पुलिस की साइबर सेल में FIR भी हो चुका है.
सरकारी एजेंसियां अभी इस पर काम कर रही हैं लेकिन ये पूरा मामला क्या है और साइबर चोरों ने कैसे इतनी बड़ी क्रिप्टो चोरी को अंजाम दिया और वो क्रिप्टो अब कहाँ है. ये जानने के लिए हम आये हैं साइबर दुनियां की फोरेंसिक कंपनी pelorus टेक्नॉलिजी और क्रिस्टल इंटेलिजेंस के पास. ये दोनों फोरेंसिक कंपनी लगभग हर बड़ी साइबर और क्रिप्टो जांच में सरकार की मदद करती रहती हैं.
Wazir X ने क्या कहा?
Wazir X ने वेबसाइट पर चोरी से जुड़े बयान में कंप्रोमाइज हुए उस वॉलेट का नंबर दिया है जिससे चोरी हुई. दुनिया के अलग अलग ठिकानों पर बैठे साइबर इन्वेस्टिगेटरों ने क्रिस्टल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर टूल के जरिये उस वालेट्स से क्रिप्टो ट्रेल की जांच की तो 18 जुलाई को साइबर चोर के वालेट्स 200 के करीब ट्रांजेक्शन हुए दिखे और साथ मे ये भी पता चला कि इसके लिए उसने दस जुलाई से ही तैयारी शुरु कर दी थी.
क्रिस्टल Inteligence के कंट्री मैनेजर संजीव शाही ने कहा कि जब हमने जांच शुरू की तो समानांतर कहानी हमें दिखी. उन्होंने कहा एक तो ये कंप्रोमाइज हुआ और वहां से चोर ने 230 मिलियन डॉलर अपने वालेट में ट्रांसफर किये, ओर ये अलग अलग क्रिप्टो करंसी में हुई है. और उसी समय उसका बैक ट्रेल जब हमने देखा तो एक ट्रांजेनक्श ये दिखा जो कि उस वालेट को फण्ड कर रहा था. कुछ दिनों से टॉरनेडो कैश से. अगर तारीख देखें तो दस जुलाई से मतलब से दस जुलाई से उसने तैयारी शुरू कर दी थी.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
एक्सपर्ट के मुताबिक एक्सचेंज से ट्रांसफर के लिए फीस लगती है जिसे गैस फीस कहते हैं. उसके लिये साइबर चोर ने 1080 डॉलर के करीब क्रिप्टो अपने वालेट में जमा करने के लिए टॉरनेडो कॅश के वालेट का इस्तेमाल किया ताकि उसकी पहचान छिपी रहे.
साइबर चोर यहीं नही रुके..अपने उस वालेट्स से उसी दिन उन्होंने चोरी के क्रीप्टो को अलग अलग क्रिप्टो में कन्वर्ट कर 2000 के करीब अलग अलग ट्रांजेक्शन कर दूसरे कई वॉलेट में ट्रान्सफर किया और फिर उसमे से बहुत छोटा फंड दो अलग एक्सचेंज के वॉलेट में ट्रांसफर कर दिया जिसे एजेंसिया होल्ड करने में कामयाब रही हैं. लेकिन चुराई गई 95% क्रिप्टो 18 से 22 जुलाई के बीच 3 ऐसे वॉलेट में पार्क कर दिया है,जो अभी किसी एक्सचेंज से जुड़ा नही दिख रहा.
एक्सपर्ट ने दी नसीहत
आज की तारीख में फण्ड ब्लॉक चेन पर है तो भी ये उसे इस्तेमाल नहीं कर सकता. इसे इस्तेमाल करने के लिए उसे रियल वर्ल्ड में आना ही होगा।या तो फिएट में कन्वर्ट करे. जैसे ही रियल वर्ल्ड में आएगा उसकी पहचान जाहिर होगी. क्योंकि अगर रुपये में कन्वर्ट करना है तो वो एक्सचेंज में जायेगा। एक्सचेंज से बैंक में पैसे जाएंगे तो उसकी पहचान जाहिर हो जायेगी. तो ये ट्रेस करते करते हम यहाँ तक पहुँचे हैं. यहाँ पर 61 हजार इथेरियम उसने तीन वालेट में पार्क कर रखा हैं। अभी कई दिनों से उसमे कोई हलचल नही है. हमने उसे वॉच लिस्ट पर रखा है.
बाइट पेलोरस टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर ने दी अपनी राय
बाइट पेलोरस टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर कौशल भेडा का कहना है कि हमने क्या किया है कि अभी सॉफ्टवेयर के जरिये हम इन तीन वालेट पर नजर रखे हुए हैं.अगर यहाँ से फण्ड किसी दूसरे वॉलेट में जायेगा,जो टैग है टेरर फाइनांस से या टैग है किसी ऐक्टर के साथ तो हमे पता चल जाएगा. अभी हम ये नही बता सकते ये किसने किया? आगे जैसे जांच आगे बढ़ेगी हमे और जनकारी मिलेगी.
साइबर चोरी पर एक्सपर्ट ने क्या कहा
मतलब इतनी सब जांच के बाद भी अभी तक साइबर चोरों की पहचान नही हो पाई है. क्योंकि वॉलेट नंबर से उसके होल्डर की पहचान तभी हो सकती है जब तक कि वो किसी एक्सचेंज से जुड़ा ना हो. एक्सपर्ट्स का मानना है ये तभी होगा जब साइबर चोर क्रिप्टो को एक्चुअल कर्रेंसी में कन्वर्ट करने के लिए किसी exchnage के वालेट्स में चुराये गए क्रिप्टो ट्रासंफर करेंगे..जिसकी उम्मीद कम ही है. सवाल है फिर इसके पीछे कौन है और इतनी बड़ी साइबर चोरी का उसे फायदा क्या?
2 हजार करोड़ से किन्हें नुकसान?
पेलोरस टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर कौशल भेडा ने बताया कि 18 जुलाई को wazir X ने जब प्रिमिलिनारी रिपोर्ट निकाली थी तब लोगों को इतना पता नही चला कि ये कितना गंभीर है. दो हजार करोड़ निकले हैं और इसमें अफेक्टेड कौन है सारे इन्वेस्टर हैं. आम आदमी आज अफेक्टेड है. दूसरी बात ये जो फण्ड है किसमे आगे इस्तेमाल होंने वाला है, शायद टेरर फण्ड में इस्तेमाल हो, शायद कोई स्टेट एक्टर ले जाये तो बहुत बड़ी चीज है और पूरे देश को प्रभावित कर सकती है.