इस बार अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल हरियाणा में चुनाव प्रचार करती नज़र आईं. वो केजरीवाल के हरियाणा से आने की पहचान का बार-बार ज़िक्र करती रहीं.
2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी 46 सीटों पर लड़ी थी. मगर पार्टी का प्रदर्शन काफ़ी निराशाजनक रहा था और वो एक भी सीट नहीं जीत सकी थी.
हालिया लोकसभा चुनाव में पार्टी को 3.94 फ़ीसदी वोट मिले थे.
इस बार अरविंद केजरीवाल की पत्नी राज्य में प्रचार करती नज़र आईं और वो केजरीवाल के हरियाणा से आने की पहचान का बार-बार ज़िक्र करती नज़र आई हैं.
पार्टी को इन चुनावों में ख़ुद के दम पर अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है.
राज्य में पार्टी के प्रभाव को लेकर वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र सिंह भदौरिया कहते हैं, ”आम आदमी पार्टी की हरियाणा में स्ट्रैंथ बहुत ज़्यादा नहीं है. आम आदमी पार्टी ख़ुद भी जानती है कि हरियाणा में उनकी स्ट्रैंथ कितनी है. पिछली बार जब चुनाव हुआ था तो उनको एक फ़ीसदी से भी कम वोट मिले थे.”
“और इस बार जब कांग्रेस के साथ गठबंधन के नेगोसिएशन को लेकर बात चल रही थी, तो आम आदमी पार्टी ने खुद दस सीटें मांगी थीं. और कांग्रेस ने उनको केवल पांच सीटों का ऑफर दिया था. मीडिया में भी यह ख़बरें थीं. पार्टी ने भले ही 90 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए हैं, लेकिन उनके लिए उतने अवसर नहीं हैं.”
केजरीवाल की रिहाई से पार्टी के प्रदर्शन पर कैसे पड़ेगा असर? आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की रिहाई से क्या बदलेगा?
इस सवाल के जवाब में भदौरिया कहते हैं कि पार्टी के कार्यकर्ताओं में तो निश्चित तौर पर नया जोश आएगा लेकिन वो रिहाई में थोड़ी देरी की ओर भी इशारा करते हैं.
भदौरिया कहते हैं, ”हरियाणा में आम आदमी पार्टी को अरविंद केजरीवाल की 360 से 380 छोटी-बड़ी रैलियां करवानी थीं. लेकिन, अब तो 13 तारीख़ हो चुकी है. ऐसे में हो सकता है कि इन रैलियों की संख्या में कमी आएगी. लेकिन, यह तय है कि अरविंद केजरीवाल यहां प्रचार करेंगे. क्योंकि, वो बनिया समुदाय से हैं तो हो सकता है कि उनको वैश्य वोट मिल जाएं.”
“यूथ और किसानों को जोड़ने की बात वो करते हैं. हो सकता है कि इस बार भी ऐसा करें. आम आदमी पार्टी ने इस बार कांग्रेस और बीजेपी के असंतुष्ट नेताओं को भी टिकट दिए हैं, तो वो भी प्रभाव तो दिखाएंगे.”
हालांकि भदौरिया कहते हैं कि आम आदमी पार्टी यहां इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी से भी छोटी पार्टी है.
अरविंद केजरीवाल की रिहाई को आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन के लिहाज़ से वरिष्ठ पत्रकार दयाशंकर मिश्र अच्छा संकेत मानते हैं.
वो मानते हैं कि अरविंद केजरीवाल का प्रभाव दिल्ली के साथ ही साथ हरियाणा में भी है. ऐसे में वो अगर हरियाणा प्रचार के लिए जाएंगे, तो बीजेपी के ख़िलाफ़ अपनी बात रखने में कामयाब हो सकते हैं.
दयाशंकर मिश्र कहते हैं, ”मैं जितनी भी जगह घूमा हूं, वहां मैंने देखा है कि हिंदी पट्टी में राहुल गांधी के बाद अरविंद केजरीवाल की चर्चा होती है. इसकी वजह यह है कि अरविंद केजरीवाल लगातार चर्चा में रहते हैं. वह जनता तक यह बात पहुंचाने में सफल रहे हैं कि वह लोगों के फ़ायदे की बात करते हैं, मगर उनको ऐसा करने से रोका जाता है. ऐसे में हर बार ऐसा लगता है कि अरविंद केजरीवाल की लोकप्रियता का ग्राफ़ नीचे आएगा. लेकिन, इस बार भी केजरीवाल के जेल से बाहर आने के बाद उनकी लोकप्रियता का ग्राफ़ ऊपर जाएगा.”
वहीं वरिष्ठ पत्रकार मुकेश तिवारी इस पर कुछ अलग राय रखते हैं.
वो कहते हैं, ”लोकसभा चुनाव के समय भी हमने देखा था कि केजरीवाल के प्रचार करने के बाद दिल्ली और पंजाब के चुनावी नतीजों में कोई बहुत बड़ा बदलाव हमें देखने को नहीं मिला था. हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी ऐसा ही रहने वाला है. पार्टी के नज़रिए के हिसाब से उनके प्रचार में ज़रूर तेज़ी आएगी. क्योंकि, वो पार्टी के स्टार प्रचारक हैं. पार्टी के बड़े नेता हैं. और वैसे भी हरियाणा में आम आदमी पार्टी का आधार इतना बड़ा नहीं है. ऐसे में केजरीवाल की मौजूदगी का बड़ा असर चुनावी नतीजों पर नहीं पड़ेगा.”
कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं होने का असर
इस सीट से चुनावी मैदान में ‘आप’ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील गुप्ता थे. इस बार आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है.
कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी का गठबंधन न हो पाने के बाद पड़ने वाले प्रभाव को लेकर पत्रकार धर्मेंद्र सिंह भदौरिया कहते हैं, ”इसका बीजेपी को कम लेकिन कांग्रेस को नुक़सान ज़्यादा होगा. लेकिन, आम आदमी पार्टी का बेस इतना बड़ा भी नहीं है कि वो कांग्रेस की जीत में कोई बड़ा फेरबदल कर दे. यही वजह है कि यहां कांग्रेस के जो बड़े नेता हैं, जैसे दीपेंदर हुड्डा, रणदीप सुरजेवाला ने इस गठबंधन का विरोध ही किया. अगर पार्टी को कहीं फायदा मिलता दिखता तो फिर ये नेता विरोध ही क्यों करते.”
दयाशंकर मिश्र का आकलन है कि गठबंधन भले ही न हो पाए लेकिन केजरीवाल की रिहाई का फ़ायदा कांग्रेस को होगा.
वो कहते हैं, ”हरियाणा में भले ही इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल यानी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अलग-अलग लड़ रहे हों, मगर अरविंद केजरीवाल की रिहाई का फायदा कांग्रेस को भी मिलेगा. आम आदमी पार्टी के जो उम्मीदवार हैं, वो हर जगह चुनौती देने की स्थिति में नहीं हैं. जहां तक सवाल आम आदमी पार्टी के इतने सारे उम्मीदवारों को टिकट देने का है, तो उनको अपना राष्ट्रीय स्तर का दर्जा भी बनाए रखना है. ऐसे में उनकी मजबूरी भी रही होगी कि वोट परसेंटेज बनाए रखने के हिसाब से उन्होंने ऐसा किया हो.”
हरियाणा विधानसभा चुनाव
इमेज स्रोत, ANI
इमेज कैप्शन, हरियाणा में आम आदमी पार्टी का चुनावी घोषणापत्र जारी करते पार्टी के नेता हरियाणा विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं.
बीजेपी 2014 और 2019 में विधानसभा चुनाव जीतकर बीते 10 सालों से सत्ता में बनी हुई है. साल 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 40 और कांग्रेस को 31 सीटों पर जीत मिली थी. बीजेपी दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजेपी के साथ गठबंधन के कारण सरकार बनाने में सफल रही थी.
इस बार जेजेपी और बीजेपी की राहें अलग हो गई हैं. मगर चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) और जेजेपी के बीच गठबंधन हो गया है.